अदरक (Zingiberaceae)

 अदरक

(Zingiberaceae)


लैटिनः-Zingiber Officinalis
अंग्रेजी:-Zinger
सामान्य नामः- सोंठ, अदरक, सोढी, आंद्रा आले, आद्रिका


अदरक


Classification (Botanical) Family () Scitamihacae Genus (वंश)- Zingiber Species (जाति)- Officinalis


(Zingiber Officinale Rosc.)


आद्रक शृंग देरंस्यात्कद्भद्रं तथाद्धिं का।

आदिका भेदिनी तीक्ष्णोष्णादीपनीमता ॥ कटुकामधुरापा के सभावातक फायहा। के गुण्णः कथितः शुंठ्‌याक्तेऽपिसत्याई केऽखिलाः ।॥ भोजनाने सदा पश्चलवण ब्रेकभक्षणम् अग्नि संदीप उरुच्चजियदा कंठ विशोधिनम्।



प्राकृतिक स्थानः- यह हिन्दुस्तान में सब जगह बोया जाता है। इसका झाड़ प्रायः एक हाथ ऊँचा होता है। इसकी जड़ में एक प्रकार का कन्द होता है, जिसे अदरक कहते हैं। उपयोगी औषध अंगः- कंद (मूल)।


रासायनिक संघटनः- इसमें 1% से 3% तक एक उड़नशील तेल पाया जाता है। भैषज गुण एवं धर्मः- यह भेदक भारी तीक्ष्ण, उण्गदीपन, चरपरा, पाक में, मधुर तथा कफनाशक है।

उपयोगिताः- यह वमन हैजा, खाँसी, श्वास, सूजन, कान का दर्द, कामला, मंदाग्नि, दांतपीड़ा आदि रोगों में लाभकारी है। ब्रोन्काइटिस में इसका लाभकारी प्रभाव होता है।


वमनः- एक तोले अदरक के रस को। तोला प्याज के रस के साथ देने से उल्टी व जी मिचलाना बन्द हो जाते हैं।


हैजाः-अदरक का रस, आक की जड़ मिलाकर काली मिर्च के बराबर की गोलियाँ बनाकर कुनकुने पानी के साथ सेवन कराने से हैज़ा की बीमारी से फायदा होता है।


खाँसी व श्वासः-अदरक के रस में शहद मिलाकर चाटने से श्वास, खाँसी, जुकाम व कफ मिटता है।


सूजनः- अदरक के स्वरस में पुराना गुड़ मिलाकर पिलाने से सारे शरीर की सूजन उतरती है। कान का दर्दः- इसका रस कुनकुना कर कान में डालने से दर्द मिटता है।


कामलाः-अदरक, त्रिफला और गुड़ तीनों को मिलाकर पीने से कामला मिटता है।


दंतपीड़ाः- इसके टुकड़ों को दाँतों के बीच में रखकर दबाने से पीड़ा मिटती है।


मात्रा-5-10 ग्राम चूर्ण व रस ।


द्रव्य-प्रयोगः-त्रिकूट चूर्ण, व्योषादि वटी, सौभाग्य सुठी पाक, हिग्वाष्टक चूर्ण, सुदर्शन चूर्ण, पंचसकार चूर्ण।

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